यूरीड मीडिया- कानपुर काण्ड में आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने के बाद कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे फरार चल रहा था। हर तरफ उसे पकड़ने के लिये खोजबीन जारी थी और आखिर में उसने उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया। हालांकि न्यायिक प्रक्रिया में कई खामी रही है और उत्तर प्रदेश के कानपुर की सीमा में भागने के प्रयास पर उसे पुलिस ने ढेर कर दिया।
रास्ते भर एसटीएफ के लोगों ने उससे जमकर पूछताछ की। मिली जानकारी के अनुसार उसके जो भी बताया वह अपने आप में हैरान कर देने वाला है। पुलिस ने बताया कि विकास दुबे को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने का जरा भी पछतावा नहीं था। पूछताछ में उसने बताया था कि दो जुलाई की रात को उसे सीओ पर तो गुस्सा था ही, साथ ही अपने एनाउंटर का भी डर था। इन्हीं सब उथल-पुथल के बीच उसने ठान ली थी कि वह किसी भी हाल में गिरफ्तारी नहीं देगा। इसी के लिए उसने क्रूरता की सारी हदें पार कर पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार डाला।
एसटीएफ द्वारा पछतावे की बात पूछने पर उसने कहा कि अब जो हो गया सो हो गया। उसका व्यवहार और बातचीत किसी साइको किलर की तरह थी। सनक में उसने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे डाला था। एसटीएफ को उसने बताया था कि जब उसको थाने से सूचना मिली तो उसने मोर्चा लेने की ठान ली। उसके साथी अमर दुबे व अतुल समेत कई अन्य शराब के नशे में धुत थे। जब इन लोगों ने पुलिस पर हमला कर गोलियां चलाईं तो उन्हें खुद नहीं पता था कि वो कितनी गोलियां मार रहे हैं।
जब उससे सवाल किया गया कि उसने पुलिसकर्मियों को क्यों मार दिया तो उसने बोला कि मुझे लगा पुलिसवाले केवल घायल हुए होंगे। आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई, ये टीवी पर खबर देखकर पता चला। उसने कहा कि मैंने सरेंडर कर जेल जाने की तैयारी कर ली थी। इसके लिए मैंने कई वकीलों से संपर्क किया। पचास हजार रुपये एडवांस देने की बात भी हो गई थी। मगर उसके पहले ही वो गिरफ्तार हो गया और फिर मुठभेड़ में मार दिया गया।
रास्ते भर एसटीएफ के लोगों ने उससे जमकर पूछताछ की। मिली जानकारी के अनुसार उसके जो भी बताया वह अपने आप में हैरान कर देने वाला है। पुलिस ने बताया कि विकास दुबे को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने का जरा भी पछतावा नहीं था। पूछताछ में उसने बताया था कि दो जुलाई की रात को उसे सीओ पर तो गुस्सा था ही, साथ ही अपने एनाउंटर का भी डर था। इन्हीं सब उथल-पुथल के बीच उसने ठान ली थी कि वह किसी भी हाल में गिरफ्तारी नहीं देगा। इसी के लिए उसने क्रूरता की सारी हदें पार कर पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार डाला।
एसटीएफ द्वारा पछतावे की बात पूछने पर उसने कहा कि अब जो हो गया सो हो गया। उसका व्यवहार और बातचीत किसी साइको किलर की तरह थी। सनक में उसने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे डाला था। एसटीएफ को उसने बताया था कि जब उसको थाने से सूचना मिली तो उसने मोर्चा लेने की ठान ली। उसके साथी अमर दुबे व अतुल समेत कई अन्य शराब के नशे में धुत थे। जब इन लोगों ने पुलिस पर हमला कर गोलियां चलाईं तो उन्हें खुद नहीं पता था कि वो कितनी गोलियां मार रहे हैं।
जब उससे सवाल किया गया कि उसने पुलिसकर्मियों को क्यों मार दिया तो उसने बोला कि मुझे लगा पुलिसवाले केवल घायल हुए होंगे। आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई, ये टीवी पर खबर देखकर पता चला। उसने कहा कि मैंने सरेंडर कर जेल जाने की तैयारी कर ली थी। इसके लिए मैंने कई वकीलों से संपर्क किया। पचास हजार रुपये एडवांस देने की बात भी हो गई थी। मगर उसके पहले ही वो गिरफ्तार हो गया और फिर मुठभेड़ में मार दिया गया।
13th July, 2020