डॉक्टर अनिल चतुर्वेदी, यूरीड मीडिया- 1837 में हान्स क्रिश्चियन एंडरसन ने एक स्टोरी लिखी थी जिसका नाम था: "सम्राट का नया कपड़ा". इस स्टोरी में दो कपड़ा बुनने वालों ने अपने सम्राट से कहा कि वह एक ऐसा जादुई कपड़ा बुनना जानते हैं जिसको पहनने के बाद लोगों को आप दिखाई नहीं देंगे। लेकिन यह शर्त है कि यह उन्ही को दिखाई नहीं देंगे जो समझदार नहीं होंगे, मुर्ख होंगे। अगर होशियार होंगे तो उन्हें आपका नया कपड़ा दिखाई देगा। वास्तव में उन्होंने कोई कपड़ा बनाया ही नहीं था। परन्तु नया कपड़ा बनाने को लेकर खूब प्रचार प्रसार किया गया। बादशाह के नये कपड़े को लेकर खूब उत्सुकता थी। सच यह था कि बादशाह जब नया कपड़ा पहन कर अपनी जनता के सामने आया जो वास्तव में नग्न ही था लेकिन शर्त यह थी कि राजा का नया कपड़ा वही नहीं देख पायेगा जो मुर्ख की श्रेणी में आएगा। प्रत्येक व्यक्ति यह कहने लगा कि उसे दिखाई दे रहा है। क्योकि किसी भी व्यक्ति में यह हिम्मत नहीं हुई कि वह कह सके कि राजा नंगा है। क्योकि उसे इस बात का भय सबसे ज्यादा था कि लोग उसे मुर्ख साबित न कर दे और वह स्वयं भी सबके सामने मुर्ख बनना नहीं चाहता था। अंतत एक बच्चे ने चिल्ला कर कहा कि यह राजा तो नंगा है। यही स्थित आज लेखकों एवं पत्रकारों के मध्य घर कर गयी है। वह सत्ता एवं सत्ता के दहशत के सामने उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा है। यह समझते हुए भी वह देख पाने में विवेक, बुद्धि का प्रयोग नहीं कर पा रहे है और साथ ही साथ अपने को मुर्ख भी नहीं दिखाना चाहते। आज पूरा विश्व महामारी, दंगों, जाति-धर्म, नस्लभेद एवं आर्थिक, समाजिक समस्याओं से बुरी तरह जूझ रहा है परन्तु यह लोग प्रभावशाली सत्ता के निकट रहकर ऊंची नीलामी बोली द्वारा सत्ता के प्रशंसा में जुटे हुए है। लेकिन यह भी एक ऐतिहासिक सत्य है कि जर्मनी में जोसेफ गोएबेस ने हिटलर को देवता के सामान कहा और आश्चर्य प्रकट किया। "हु इस दिस मन, ही जस्ट लाइक अ गॉड"। सत्ता का इस तरह देवीय आरोपण जर्मनी के लिए विध्वंसकारी साबित हुआ।
प्रसिद्ध अंग्रेजी साहित्यकार वॉल्टर रैले ने अपने शेक्सपियर नामक ग्रन्थ में लिखा कि यदि वर्तमान में आप शेक्सपियर की रचनाओं की अत्यंत प्रशंसा करते है तो आज आप उच्च कोटि के लेखक एवं समालोचक है और आपका लेख सर्वोत्तम है। जैसा कि देखा गया है कि अगर किसी वस्तु की नीलामी में सबसे अधिक बोली लगाने वाला उस वस्तु का मालिक होता है उसी तरह शेक्सपियर की प्रशंसा करने वाला उच्च कोटी का लेखक कहलता है। मेरी राय में कुछ यही वातावरण और नीलामी का धंधा इस दुनिया में कुछ पत्रकार एवं लेखक अधिक से अधिक बोली लगा कर सत्ता एवं सत्ताधीशों को सर्वगुण संपन्न बनाने का भीष्म प्रयत्न करते दिखाई दे रहे हैं। जो दुनिया के तुगलकी सत्ताधीशों के अत्यंत प्रशंसा में लगे हुए हैं। वे इन सत्ताधीशों की संकीर्ण ह्रदयता पर ध्यान न देकर इसको आदर्शवादी बताकर उसकी प्रशंसा में पृष्ठ पर पृष्ठ लिख रहे है।
आधुनिक मीडिया के द्वारा 24 घंटे गुणगान करने में व्यस्त है। यह सत्ता परस्त शासकों की धर्मांधता तथा पक्षपात को उदारता का रूप देकर चित्रित कर रहे है। उनकी धूर्तता को निष्पक्षता, दुर्बलता को सहनशीलता और उनकी क्रूरता, धनलोलुपता तथा इनके मानसिक विकारों को राजनीतिक प्रयोगों के परदे में छुपा कर उनका यशोगाण कर रहे हैं। उनके बेहूदे प्रयोगों के द्वारा उनके शासन को असफल देखते हुए भी उनको यह कह कर बचाने का प्रयत्न कर रहे हैं कि इतनी कड़ी मेहनत, दूर-दृष्टि एवं कुशलता होते हुये भी उनका भाग्य उनका साथ नहीं दे रहा और उनके सभी कमियों को यह कहकर कि इनमे कोई त्रुटि नहीं है बल्कि महामारी एवं विरोधियों एवं पूर्व के शासकों की गलतियाँ दिखाई पड़ रही हैं। यह पत्रकार एवं लेखक अपने आँखों पर पर्दा डाले हुये हैं।
प्रसिद्ध अंग्रेजी साहित्यकार वॉल्टर रैले ने अपने शेक्सपियर नामक ग्रन्थ में लिखा कि यदि वर्तमान में आप शेक्सपियर की रचनाओं की अत्यंत प्रशंसा करते है तो आज आप उच्च कोटि के लेखक एवं समालोचक है और आपका लेख सर्वोत्तम है। जैसा कि देखा गया है कि अगर किसी वस्तु की नीलामी में सबसे अधिक बोली लगाने वाला उस वस्तु का मालिक होता है उसी तरह शेक्सपियर की प्रशंसा करने वाला उच्च कोटी का लेखक कहलता है। मेरी राय में कुछ यही वातावरण और नीलामी का धंधा इस दुनिया में कुछ पत्रकार एवं लेखक अधिक से अधिक बोली लगा कर सत्ता एवं सत्ताधीशों को सर्वगुण संपन्न बनाने का भीष्म प्रयत्न करते दिखाई दे रहे हैं। जो दुनिया के तुगलकी सत्ताधीशों के अत्यंत प्रशंसा में लगे हुए हैं। वे इन सत्ताधीशों की संकीर्ण ह्रदयता पर ध्यान न देकर इसको आदर्शवादी बताकर उसकी प्रशंसा में पृष्ठ पर पृष्ठ लिख रहे है।
आधुनिक मीडिया के द्वारा 24 घंटे गुणगान करने में व्यस्त है। यह सत्ता परस्त शासकों की धर्मांधता तथा पक्षपात को उदारता का रूप देकर चित्रित कर रहे है। उनकी धूर्तता को निष्पक्षता, दुर्बलता को सहनशीलता और उनकी क्रूरता, धनलोलुपता तथा इनके मानसिक विकारों को राजनीतिक प्रयोगों के परदे में छुपा कर उनका यशोगाण कर रहे हैं। उनके बेहूदे प्रयोगों के द्वारा उनके शासन को असफल देखते हुए भी उनको यह कह कर बचाने का प्रयत्न कर रहे हैं कि इतनी कड़ी मेहनत, दूर-दृष्टि एवं कुशलता होते हुये भी उनका भाग्य उनका साथ नहीं दे रहा और उनके सभी कमियों को यह कहकर कि इनमे कोई त्रुटि नहीं है बल्कि महामारी एवं विरोधियों एवं पूर्व के शासकों की गलतियाँ दिखाई पड़ रही हैं। यह पत्रकार एवं लेखक अपने आँखों पर पर्दा डाले हुये हैं।
3rd June, 2020