यूरीड मीडिया-कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज लोकसभा चुनाव में हारने के बाद पहली बार अमेठी जा रहे हैं। अपनी यात्रा में वे पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और उनका हाल जानने का प्रयास करेंगे। संभवतः चुनाव नतीजों की भी समीक्षा करेंगे। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी अपने इस दौरे को मीडिया से दूर रखेंगे, इसका मतलब है कि वह इस यात्रा को बिल्कुल कैमरे की नजर से दूर रखना चाहते हैं। राहुल गांधी बुधवार सुबह दस के आस-पास लखनऊ एयरपोर्ट पहुंच गए हैं। उनका कांग्रेसी नेताओं ने एयरपोर्ट पर फूलों को गुलदस्ता भेंटकर स्वागत किया।
सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी की इस यात्रा का संदेश यह है कि भले ही वह अमेठी से चुनाव हार गए हैं, लेकिन उनका आत्मीय रिश्ता अमेठी से बना हुआ है। यह उनकी कर्मभूमि है, जो उन्हें विरासत में मिली है, और इसे वह संभाल कर रखना चाहते हैं। अमेठी ऐसी संसदीय सीट रही है जिसका कांग्रेस और खासकर गांधी परिवार से काफी गहरा रिश्ता रहा है। अमेठी सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी और उस दौरान हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी संसद पहुंचे थे। इस सीट का संसदीय इतिहास बताता है कि अब तक यहां से ज्यादातर समय कांग्रेस जीतती रही है।
आपातकाल के बाद 1977 में जनता पार्टी के रविंद्र प्रताप सिंह इस सीट से जीत थे जबकि 1980 में जब दोबारा चुनाव हुए तो संजय गांधी जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे, 1998 में यह सीट फिर भाजपा के झोली में चली गई और संजय सिंह चुनाव जीते थे। इस तरह इक्का-दुक्का मौकों को छोड़ दिया जाए तो इस सीट पर अमूमन कांग्रेस और गांधी परिवार का ही कब्जा रहा है।
इस सीट पर संजय गांधी, राजीव गांधी के बाद दो बार कांग्रेस के ही सतीश शर्मा विजय रहे। 1999 में हुए चुनाव में सोनिया गांधी मैदान में उतरीं। इसके बाद इस सीट पर 2004 से राहुल गांधी अमेठी से लगातार संसद पहुंचे थे। लेकिन इस बार राहुल गांधी चुनाव हार गए हैं। इस सीट भाजपा की मंत्री स्मृति ईरानी चुनाव जीत गई हैं।
सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी की इस यात्रा का संदेश यह है कि भले ही वह अमेठी से चुनाव हार गए हैं, लेकिन उनका आत्मीय रिश्ता अमेठी से बना हुआ है। यह उनकी कर्मभूमि है, जो उन्हें विरासत में मिली है, और इसे वह संभाल कर रखना चाहते हैं। अमेठी ऐसी संसदीय सीट रही है जिसका कांग्रेस और खासकर गांधी परिवार से काफी गहरा रिश्ता रहा है। अमेठी सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी और उस दौरान हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी संसद पहुंचे थे। इस सीट का संसदीय इतिहास बताता है कि अब तक यहां से ज्यादातर समय कांग्रेस जीतती रही है।
आपातकाल के बाद 1977 में जनता पार्टी के रविंद्र प्रताप सिंह इस सीट से जीत थे जबकि 1980 में जब दोबारा चुनाव हुए तो संजय गांधी जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे, 1998 में यह सीट फिर भाजपा के झोली में चली गई और संजय सिंह चुनाव जीते थे। इस तरह इक्का-दुक्का मौकों को छोड़ दिया जाए तो इस सीट पर अमूमन कांग्रेस और गांधी परिवार का ही कब्जा रहा है।
इस सीट पर संजय गांधी, राजीव गांधी के बाद दो बार कांग्रेस के ही सतीश शर्मा विजय रहे। 1999 में हुए चुनाव में सोनिया गांधी मैदान में उतरीं। इसके बाद इस सीट पर 2004 से राहुल गांधी अमेठी से लगातार संसद पहुंचे थे। लेकिन इस बार राहुल गांधी चुनाव हार गए हैं। इस सीट भाजपा की मंत्री स्मृति ईरानी चुनाव जीत गई हैं।
10th July, 2019