यूरीड मीडिया-मतदान प्रतिशत से यह लग रहा है कि दूसरे चरण के आठ सीटों में पांच में गठबंधन का दबदबा रहा और तीन में त्रिकोणात्मक लड़ाई है। जिन आठ सीटों में 18 अप्रैल को मतदान हुए है उनमें चार सीटें नगीना, बुलंदशहर, हाथरस और आगरा सुरक्षित सीटें हैं।
इन चारों सुरक्षित सीटों में नगीना को छोड़ दे तो मतदान प्रतिशत 2014 की तुलना में बढ़े है। बुलंदशहर में 4 प्रतिशत, हाथरस में 2 प्रतिशत, आगरा में 0.5 प्रतिशत बढ़ा है तथा नगीना में लगभग 1 प्रतिशत कम रहा है। 2009 लोकसभा में इन सुरक्षित सीटों पर नगीना में 53 तथा बुलंदशहर एवं हाथरस में 45-45 मतदान हुए थे केवल आगरा में भाजपा जीती थी शेष सातों सीटों पर गठबंधन का कब्ज़ा रहा है इनमें अमरोहा, मथुरा, हाथरस तीन सीटें रालोद। नगीना, बुलंदशहर सपा तथा अलीगढ और फतेहपुर सीकरी बसपा जीती थी। 2014 में इन सभी आरक्षित सीटें पर 11 से लेकर 15 प्रतिशत मतदान अधिक हुए और सभी सीटों पर भाजपा का कब्ज़ा हो गया। 2009 में आठों सीटों पर 50 प्रतिशत मतदान हुए जो 2014 में बढ़कर 62 प्रतिशत हो गया था । बढे हुए मतदान से भाजपा को लाभ हुआ था। लेकिन 2019 में बड़े हुए मतदान प्रतिशत जातीय ध्रुवीकरण के कारण हुए है और भाजपा के लिए चुनौती है। सामान्य सीटों पर मथुरा में 4 प्रतिशत और अमरोहा में 3 प्रतिशत फ़तेहपुर सीकरी में .2 प्रतिशत मतदान कम हुये है केवल अलीगढ़ सीट पर मतों के ध्रुवीकरण में 3 प्रतिशत मतदान अधिक हुआ है। परिणाम 23 मई को आएंगे लेकिन जो चुनाव का संकेत है उससे लग रहा है कि दूसरे चरण में गठबंधन का दबदबा 2009 की तरह बन सकता है ।
इन चारों सुरक्षित सीटों में नगीना को छोड़ दे तो मतदान प्रतिशत 2014 की तुलना में बढ़े है। बुलंदशहर में 4 प्रतिशत, हाथरस में 2 प्रतिशत, आगरा में 0.5 प्रतिशत बढ़ा है तथा नगीना में लगभग 1 प्रतिशत कम रहा है। 2009 लोकसभा में इन सुरक्षित सीटों पर नगीना में 53 तथा बुलंदशहर एवं हाथरस में 45-45 मतदान हुए थे केवल आगरा में भाजपा जीती थी शेष सातों सीटों पर गठबंधन का कब्ज़ा रहा है इनमें अमरोहा, मथुरा, हाथरस तीन सीटें रालोद। नगीना, बुलंदशहर सपा तथा अलीगढ और फतेहपुर सीकरी बसपा जीती थी। 2014 में इन सभी आरक्षित सीटें पर 11 से लेकर 15 प्रतिशत मतदान अधिक हुए और सभी सीटों पर भाजपा का कब्ज़ा हो गया। 2009 में आठों सीटों पर 50 प्रतिशत मतदान हुए जो 2014 में बढ़कर 62 प्रतिशत हो गया था । बढे हुए मतदान से भाजपा को लाभ हुआ था। लेकिन 2019 में बड़े हुए मतदान प्रतिशत जातीय ध्रुवीकरण के कारण हुए है और भाजपा के लिए चुनौती है। सामान्य सीटों पर मथुरा में 4 प्रतिशत और अमरोहा में 3 प्रतिशत फ़तेहपुर सीकरी में .2 प्रतिशत मतदान कम हुये है केवल अलीगढ़ सीट पर मतों के ध्रुवीकरण में 3 प्रतिशत मतदान अधिक हुआ है। परिणाम 23 मई को आएंगे लेकिन जो चुनाव का संकेत है उससे लग रहा है कि दूसरे चरण में गठबंधन का दबदबा 2009 की तरह बन सकता है ।
19th April, 2019