यूरीड मीडिया-सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड के मामले को भारी-भरकम बताते हुए कहा कि इस पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है। कालेधन पर रोक लगाने के मकसद से केंद्र ने 2 जनवरी 2018 को चुनावी बॉन्ड योजना को अधिसूचित किया था।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि चुनावी बॉन्ड का मामला देश में चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को प्रभावित करने वाला है। लिहाजा इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस मामले पर अंतरिम व्यवस्था दी है। तीन सदस्यीय पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल हैं।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला वित्त अधिनियम, चुनावी कानून और बैंकिंग कानून में किए गए बदलाव से संबंधित है। इन कानूनों में बदलाव कर चुनावी बॉन्ड लाया गया है। सभी पक्षकारों की दलीलों से साफ है कि यह जटिल मसला है। लिहाजा कोर्ट इस मसले पर विस्तार से परीक्षण करेगा। एक एनजीओ ने याचिका में चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती दी थी और इस पर रोक लगाने या इसके तहत चंदा देने वालों के नामों का खुलासा करने की मांग की थी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि चुनावी बॉन्ड का मामला देश में चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को प्रभावित करने वाला है। लिहाजा इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस मामले पर अंतरिम व्यवस्था दी है। तीन सदस्यीय पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल हैं।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला वित्त अधिनियम, चुनावी कानून और बैंकिंग कानून में किए गए बदलाव से संबंधित है। इन कानूनों में बदलाव कर चुनावी बॉन्ड लाया गया है। सभी पक्षकारों की दलीलों से साफ है कि यह जटिल मसला है। लिहाजा कोर्ट इस मसले पर विस्तार से परीक्षण करेगा। एक एनजीओ ने याचिका में चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती दी थी और इस पर रोक लगाने या इसके तहत चंदा देने वालों के नामों का खुलासा करने की मांग की थी।
13th April, 2019