यूरीड मीडिया-लोकसभा चुनाव में महज 50 दिन बचे हैं। चुनावी सरगर्मियां अपने चरम पर है। उत्तर प्रदेश में भी गहमा गहमी का माहौल है। प्रियंका गांधी के आने के बाद नया समीकरण बनकर उभरा है। सपा-बसपा के गठबंधंन और कांग्रेस के अकेले लड़ने के फैसले के बाद अन्य दलों पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों पर अपनी अच्छी पकड़ रखने वाली पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को लेकर अभी तक असमंजस की स्थिति थी। पार्टी की बागडोर संभाल रहे जयंत चौधरी ने अब यह साफ कर दिया कि वह आने वाले चुनावों में उनकी पार्टी गठबंधन के साथ ही रहेगी। एक पत्र जारी कर उन्होंने कहा गया कि राष्ट्रीय लोकदल भाजपा सरकार के किसान,युवा, दलित विरोधी नीतियों के विरोध के लिए प्रभावी विपक्षी एकता के पक्ष में लगातार काम कर रहा है। सपा-बसपा के साथ गठबंधन करके ही जनता की उम्मीदों के अनुरूप मजबूत राजनीतिक विकल्प तैयार किया जा सकता है।
जयंत चौधरी के अनुसार मीडिया और सोशल मीडिया में भ्रम फैलाने का कोशिश की जा रही है, लेकिन सर्वविदित है कि राष्ट्रीय लोकदल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन का हिस्सा है। राष्ट्रीय लोकदल के सभी कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह जी ने पहले ही निर्देशित किया है कि वह इस गठबंधन के लिए जनता के बीच जाकर समर्थन मांगे। हमारा मत साफ है, देश को प्रगतिशील बनाने के लिए लोग लोकदल भविष्य में भी समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के साथ चलेगा। फिलहाल समाजवादी पार्टी RLD को तीन सीट देने के लिए तैयार है और आरएलडी (RLD) चौथी सीट के लिए कोशिश कर रही है। लखनऊ में समाजवादी पार्टी के दफ्तर में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच मुलाकात हुई जोकि करीब 1 घंटे तक चलती रही। मिली जानकारी के अनुसार गठबंधन मुजफ्फरनगर और बागपत सीट आरएलडी को देने को तैयार था। अब मथुरा सीट के लिए भी राजी हो गया है।
मुजफ्फरनगर से अजीत सिंह, बागपत से जयंत चौधरी चुनाव लड़ना चाहते हैं। सपा की पेशकश है कि मथुरा से आरएलडी के टिकट पर समाजवादी पार्टी के किसी नेता को लड़ाया जाए। वहीं, आरएलडी को उम्मीद है कि इस फॉर्मूले पर उसे सपा से एक सीट और मिल जाएगी। आरएलडी उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि सीटों का मसला नहीं है सवाल विश्वास का है, सवाल रिश्तों का है और दोनों बहुत मजबूत है। पिछले साल हुए कैराना उपचुनाव में आरएलडी और समाजवादी पार्टी बीजेपी के खिलाफ साथ आए थे और उसका नतीजा जीत में तब्दील हुआ था।
जयंत चौधरी के अनुसार मीडिया और सोशल मीडिया में भ्रम फैलाने का कोशिश की जा रही है, लेकिन सर्वविदित है कि राष्ट्रीय लोकदल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन का हिस्सा है। राष्ट्रीय लोकदल के सभी कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह जी ने पहले ही निर्देशित किया है कि वह इस गठबंधन के लिए जनता के बीच जाकर समर्थन मांगे। हमारा मत साफ है, देश को प्रगतिशील बनाने के लिए लोग लोकदल भविष्य में भी समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के साथ चलेगा। फिलहाल समाजवादी पार्टी RLD को तीन सीट देने के लिए तैयार है और आरएलडी (RLD) चौथी सीट के लिए कोशिश कर रही है। लखनऊ में समाजवादी पार्टी के दफ्तर में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच मुलाकात हुई जोकि करीब 1 घंटे तक चलती रही। मिली जानकारी के अनुसार गठबंधन मुजफ्फरनगर और बागपत सीट आरएलडी को देने को तैयार था। अब मथुरा सीट के लिए भी राजी हो गया है।
मुजफ्फरनगर से अजीत सिंह, बागपत से जयंत चौधरी चुनाव लड़ना चाहते हैं। सपा की पेशकश है कि मथुरा से आरएलडी के टिकट पर समाजवादी पार्टी के किसी नेता को लड़ाया जाए। वहीं, आरएलडी को उम्मीद है कि इस फॉर्मूले पर उसे सपा से एक सीट और मिल जाएगी। आरएलडी उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि सीटों का मसला नहीं है सवाल विश्वास का है, सवाल रिश्तों का है और दोनों बहुत मजबूत है। पिछले साल हुए कैराना उपचुनाव में आरएलडी और समाजवादी पार्टी बीजेपी के खिलाफ साथ आए थे और उसका नतीजा जीत में तब्दील हुआ था।
21st February, 2019