कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद पूरा देश ग़मगीन है। पाक को नहीं छोड़ने की बात हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पाक को न छोड़ने की बात कह रहे हैं। विपक्ष तक सारे गिले-शिकवे भुलाकर इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ है। इसके बावजूद भी देश में अभी भी कुछ ऐसे ‘जयचंद’ और ‘मीर जाफर’ हैं, जो मानवता पर हुए इस हमले परदुखी होने के बजाय खुशी मना रहे है। बिल्कुल उन बेशर्मों की तरह, जो भारत का हवा, पानी, खाद्यान्न और यहां तक कि सरकारी सुविधाओं का लाभ तक ले रहे हैं, पर गुणगान पाकिस्तान और वहां के आतातायी आतंकियों का कर रहे हैं। अब जिस तरहअलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के छात्र बासिम हिलाल ने सोशल साइट ट्विटर पर ट्वीट किया ‘हाउ’ज द जैश, ग्रेटसर’...ये न सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग है, बल्कि देश के साथ वह गद्दारी है, जिसे कभी माफ नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि एएमयू के इस छात्र बासिम हिलाल को निलंबित कर दिया गया है। खुफिया विभाग के गोविंद बल्लभ शर्मा कीओर से छात्र के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी व देश विरोधी गतिविधियों की धाराओं में रिपोर्ट भी दर्ज करा दी गई है। पर इतने भरसे इसे माफ नहीं किया जाना चाहिए।
ट्वीट करने के बाद अब अगर वह फरार है। उसे जल्द से जल्द तलाश कर ऐसी सजा दी जानी चाहिए, जो देश के लिए मिसाल बने।ऐसे गद्दारों के प्रति ढिलाई अब बर्दाश्त की सीमा से बाहर हो गई है। वह चाहें, उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रमुख मीर वाइज मौलवी उमर फारुक हों, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक या फिर कट्टरपंथी सईद अली शाहगिलानी और अब बासिम जैसा छात्र। ये सारी सुख-सुविधाएं तो देश से लेते हैं, पर गुणगान हमेशा पाकिस्तान की करते हैं। भारतके अभिन्न अंग रहे कश्मीर को तोड़ने की बात करते हैं। अलीगढ़ का एमएमयू हो या फिर दिल्ली का जेएनयू। अगर ऐसेविश्वविद्यालय भी देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता के लिए खतरा बन रहे हैं, तो इन्हें भी बेहिचक बंद कर देना चाहिए। यहीसमय की मांग है। पहले हम अपने ही देश और घरों में छिपे गद्दारों को तलाश कर खत्म करें। केवल इतना ही हो जाएगा, तो देशकी एक बड़ी समस्या का खुद ही समाधान हो जाएगा। ये हमारी सरकारों की उदारता ही है कि वे अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता के नामपर देशद्रोहियों जैसी भाषा बिना डर के बोल देते हैं। अब जब पुलवामा जैसे कृत्य में हमने वीर सैनिकों को खोया है। ये घटना भीबिना सूचना लीक हुए संभव नहीं है।
एनआईए समेत देश की तमाम एजेंसियां जांच कर रही हैं, हो सकता है कुछ और खुलासे हों। लेकिन इस बीच जब पूरा देशगमजदा है, उस माहौल में भी अगर ऐसे खुशी मनाने वाले लोग हैं, तो यह देश के लिए दुर्भाग्य की बात है। ये लोगों की जरूरत सेज्यादा छूट ही है कि इसी पुलवामा घटना पर महाराष्ट्र के पुणे में भी पुलिस ने एक जूनियर रेलवे टिकट कलेक्टर ने भीपाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की है, जिस पर उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसे निलंबित भी कर दिया गया है। लेकिनदोनों ही कुकृत्य इतने मामूली नहीं है कि केवल निलंबन भर की सजा देकर छोड़ दिया जाए। ऐसे ‘जयचंदों’ को ऐसा दंड मिलनाचाहिए, जो देश के लिए एक मिसाल बने। फिर कोई दूसरा ऐसा न कर सके। बिल्कुल उन जयचंद और मीर जाफर जैसे गद्दारों कीतरह। जिस तरह जयचंद ने दिल्ली की सत्ता के लालच में मोहम्मद गौरी का साथ दिया था और पृथ्वीराज चौहान जैसे बहादुरयोद्धा को हराया था, मीर जाफर ने प्लासी के युद्ध में अंग्रेजों के साथ मिलकर सिराजुद्दौला को धोखा दिया था, आज भी देश मेंकुछ ऐसे ही जयचंद, मीर जाफर जैसे गद्दार देश में जहां-तहां राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। देश में भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो ऐसीगद्दारों को भाषा को देख-सुन तो रहे है, पर राजनीतिक हितों के लिए या तो ख़ामोश है या फिर इनको अंदर ही अंदर समर्थन दे रहेहैं। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने भी स्पष्ट कहा है-
एएमयू के छात्र ने किया ट्वीट-‘हाउ’ज द जैश, ग्रेट सर’
16th February, 2019