लखनऊ, यूरिड मीडिया न्यूज। बसपा नेता मायावती एक चतुर राजनीतिज्ञ है और वह सियासत में दूसरे दलों के मजबुरियों का फायदा बाखूबी उठाना जानती है। मायावती खुले रूप से यह कहती है कि उन्हें मजबूत नही मजबूर सरकार चाहिए। तीन राज्यों के चुनाव में भी मायावती यही फार्मूला अपनाना चाहती थी कि कांग्रेस से समझौता न करें और चुनाव के बाद सरकार बनाने की संख्या विधायकों के न होंने पर कांग्रेस मजबूर होकर बसपा के आगे नतमस्तक होगी और मजबूर सरकार बनेगी। लेकिन ऐसा नही हुआ। उत्तर प्रदेश में मायावती अखिलेश यादव की कमजोरियों को समझ गयी है वह जानती है कि परिवार में लड़ाई के कारण सपा कमजोर हुई है। शिवपाल सिंह यादव अखिलेश के लिए एक चुनौती बनते जा रहे है। अखिलेश की मजबूरी है कि बसपा से समझौता करें। यह अनुमान लगायाजा रहा है कि मायावती अखिलेश के द्वारा ही गठबन्धन के प्रधानमंत्री पद की दावेदार बनाने की घोषण करवाना चाहती है और देशभर में अन्य छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर एक माहौल बनाकर चुनाव लड़ना चाहती है। राजनीतिक हालात है कि उसके अनुसार देश में 2019 में भाजपा और कांगेस को स्पष्ट बहुमत मिलता नही दिखायी दे रहा है। ऐसे में मायावती दलित के नाम पर एक मजबूत दावेदार हो सकती है। भाजपा और कांग्रेस दोनों पर दलित के नाम पर दबाव बनाने का प्रयास करेंगी। लेकिन राजनीति है जो निरन्तर बदलती रहती है। चंद दिनों पहले जब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान राज्य के चुनाव परिणाम नही आये थे तो देश की राजनीतिक हालात और माहौल कांग्रेस के बहुत खिलाफ थे लेकिन परिणाम के बाद स्थितियां बदली है 2019 में सपा,बसपा गठबन्धन जिन परिणामों का उम्मीद कर रहा है। राजनीति है जनता क्या निर्णय करती है इस पर निर्भर करेंगा। लेकिन जो माहौल और समीकरण दिखायी दे रहे है उसमें सपा , बसपा का गठबन्धन लगभग तय माना जा रहा है।
19th December, 2018