लखनऊ, यूरिड मीडिया न्यूज। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव राहुलगांधी के खिलाफ खुलकर सामने आ गये है उन्होंने दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि राहुल गांधी गठबन्धन पद के पीएम उम्मीदवार नही है। अखिलेश ने कहा इस तरह का प्रयास तेलगांना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव राष्ट्रवादी कांग्रेस के शरदपवार टी.डी.पी. के चन्द्रबाबू नायडू और टी.एम.सी. के ममता बनर्जी भी कर चुकी है। उन्होंने ने कहा डी.एम. के नेता एम के स्टालिंन के बयान से सहमत नही है जिसमें उन्होंने राहुल गांधी को गठबन्धन का उम्मीदवार बताया है।
अखिलेश के बयान से 1996 की राजनीति की पुनरावृत्ति हो रही है जब मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह के साथ मिलकर सोनियागांधी को विदेश मूल के नाम पर प्रधानमंत्री बनने से रोकने में अहम भूमिका अदा की थी। घटनाक्रम और राजनीतिक हालात अलग-अलग है लेकिन विरोध करने वाले दो परिवार ही है। सोनिया गांधी राहुल गांधी की मंा थी और मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव के पिता। अखिलेश के बयान से कांग्रेस में अकेले लड़ने की आवाज उठने लगी है और कांग्रेस के अधिकांश नेता इस बात से सहमत है कि अगर कांग्रेस अकेल लड़ती है तो 2009 लोकसभा चुनाव की तरह 2019 में कांग्रेस को अप्रत्याशी जीत मिल सकती है। कांग्रेस नेता 2017 में सपा से गठबन्धन एक गलती मानते है। उनका कहना है कि अगर 27 साल यू.पी. बेहाल जैसे आक्रामक तेवर से कांग्रेस 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ती तो उसे सात सीटों जैसे परिणाम नही मिलते। इससे काफी ज्यादा सीटें मिलती। कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग यह कहने लगा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए भाजपा के साथ-साथ बसपा और सपा के खिलाफ भी अभियान चलाये जाना चाहिए। अन्यथा गठबन्धन की सियासत के कारण उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कभी भी मजबूत नही हो सकती। यह माना जाता है कि तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी है अगर सपा,बसपा से समझौता होता तो राहुल गांधी का कद इन तीन राज्यों में सरकार बनने के बाद भी छोटा होता और सरकार बनाने की क्रेडिट अखिलेश और मायावती ले लेते। जिस तरहसे देश में राहुल बनाम मोदी का माहौल बनता जा रहा है ऐसे में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए।
अखिलेश के बयान से 1996 की राजनीति की पुनरावृत्ति हो रही है जब मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह के साथ मिलकर सोनियागांधी को विदेश मूल के नाम पर प्रधानमंत्री बनने से रोकने में अहम भूमिका अदा की थी। घटनाक्रम और राजनीतिक हालात अलग-अलग है लेकिन विरोध करने वाले दो परिवार ही है। सोनिया गांधी राहुल गांधी की मंा थी और मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव के पिता। अखिलेश के बयान से कांग्रेस में अकेले लड़ने की आवाज उठने लगी है और कांग्रेस के अधिकांश नेता इस बात से सहमत है कि अगर कांग्रेस अकेल लड़ती है तो 2009 लोकसभा चुनाव की तरह 2019 में कांग्रेस को अप्रत्याशी जीत मिल सकती है। कांग्रेस नेता 2017 में सपा से गठबन्धन एक गलती मानते है। उनका कहना है कि अगर 27 साल यू.पी. बेहाल जैसे आक्रामक तेवर से कांग्रेस 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ती तो उसे सात सीटों जैसे परिणाम नही मिलते। इससे काफी ज्यादा सीटें मिलती। कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग यह कहने लगा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए भाजपा के साथ-साथ बसपा और सपा के खिलाफ भी अभियान चलाये जाना चाहिए। अन्यथा गठबन्धन की सियासत के कारण उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कभी भी मजबूत नही हो सकती। यह माना जाता है कि तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी है अगर सपा,बसपा से समझौता होता तो राहुल गांधी का कद इन तीन राज्यों में सरकार बनने के बाद भी छोटा होता और सरकार बनाने की क्रेडिट अखिलेश और मायावती ले लेते। जिस तरहसे देश में राहुल बनाम मोदी का माहौल बनता जा रहा है ऐसे में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए।
19th December, 2018