नयी दिल्ली-यूरिड मीडिया न्यूज। देश में सी.बी.आई. एक ऐसी जांच एजेन्सी थी जिसे निष्पक्ष माना जाता था। लेकिन पिछले महीनों में सी.बी.आई. अधिकारियें के बीच में हुए विवाद में सी.बी.आई. की कलई खुल गयी है। किस तरह से सी.बी.आई. केन्द्र सरकार के इशारे पर जांच करती है। सी.बी.आई. का दुरूप्रयोग करने के मामले में कांग्रेस और भाजपा सरकार का चरित्र एक जैसा है कांग्रेस सरकार ने कोर्ट ने सी.बी.आई. को बन्द पिजड़े का तोता बताया था। तब विपक्ष में रही भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर सी.बी.आई. के विरोधियों पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। मोदी सरकार में सी.बी.आई. का दुरूप्रयोग कांग्रेस से भी आगे बढ़ गया है। अब कांग्रेस भाजपा सरकार पर सी.बी.आई. के दुरुप्रयोग करने का आरोप लगा रही है। आरोपों से ज्यादा महत्वपूर्ण सी.बी.आई. के दो निदेशक सिन्हा और ए.पी. सिंह के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों की जांच हो रही है और वर्तमान में निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना भी भ्रष्टाचार के आरोपी माने जा रहे है दोनों की जांच उच्चतम न्यायालय के देख-रेख में चल रही है। कार्यवाहक सी.बी.आई. निदेशक के पद पर तैनात किये गये राव भी भ्रष्टाचार के आरोपो घिरे है। विवादों और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण ही उच्चतम न्यायालय ने कार्यवाहक सी.बी.आई. निदेशक के द्वारा महत्वपूर्ण निर्णय पर भी रोक लगा दी है। जिसके कारण सी.बी.आई. संस्था अस्तित्व ही लगभग समाप्त होता दिखायी दे रहा है।
17th November, 2018