यूरीड मीडिया - मायावती दलितों की राजनीतिक कर रही हैं और दलित वोट बैंक के नाम पर 2018 के विधानसभा चुनाव राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पर दवाब बना कर ज्यादा से ज्यादा सीटें लेना चाहती थी लेकिन कांग्रेस ने मायावती के दवाब में समझौता नहीं किया और अकेले चुनाव लड़ रही हैं । यह निर्णय अचानक नहीं लिया है बल्कि दलित मतदाताओं के बीच उनकी राय जानने के बाद लिया है। एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में कांग्रेस को 33 प्रतिशत भाजपा को 35 प्रतिशत तथा बसपा को मात्र 22 प्रतिशत समर्थन प्राप्त है। यह 22 प्रतिशत दलितों का समर्थन बसपा को उन विधानसभा क्षेत्रों में मिल रहा है जहाँ पर गैर दलित बसपा के मजबूत प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे। छत्तीसगढ़ में बसपा की स्थति और भी ख़राब है जहाँ पर मात्र 11.5 प्रतिशत दलितों का समर्थन बसपा को जबकि कांग्रेस के समर्थन में 48.7 प्रतिशत दलित मतदाता हैं।
राजस्थान में भी बसपा के समर्थक में मात्र 19.5 प्रतिशत जाठ मतदाता है जबकि कांग्रेस के समर्थन में 46 प्रतिशत जाठों और 44 प्रतिशत अन्य दलित मतदाताओं ने समर्थन की बात कही है। इसी सुर्वे रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस ने बसपा से दूरियां बनाई है। मायावती की दलित राजनीतिक और SC/ST एक्ट तथा प्रमोशन में आरक्षण की वकालत करने से सवर्ण मतदाता बसपा के समझौते से कांग्रेस के हट सकते थे। इन्ही सब ज़मीनी समीकरण को देखते हुए कांग्रेस ने अलग चुनाव लड़ने और मायावती के सौदेबाज़ी को नकार दिया है। दलितो में तीनो राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के बाद दुसरी पसंद भाजपा ही है। दलितों की पसंद में मायावती तीनो राज्यों में तीसरे स्थान पर है।
14th October, 2018