2014 में गुजरात मॉडल का प्रचार करके नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में अप्रत्याशित जीत हासिल की। क्या 2019 में आज के गुजरात मॉडल का प्रचार करेंगे मोदी ?
गुजरात और महाराष्ट्र में उत्तर भारतियों के साथ विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों के साथ घट रही घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि प्रभावित हो रही है। 2014 में गुजरात मॉडल के नाम पर देश में एक ऐसा माहौल बनाया गया कि उसका लाभ भाजपा को मिला। 2019 लोकसभा चुनाव में गुजरात ही मोदी के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। जिस तरह से उत्तर भारतियों को मार-मार कर भगाया जा रहा है उससे उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा से ज्यादा नरेंद्र मोदी के खिलाफ व्यक्तिगत स्तर पर माहौल बनता जा रहा है क्योकि आज भी भाजपा पर मोदी भारी हैं। देश का चुनावी समीकरण केवल मोदी के आस पास ही घूम रहा है और भारतीय जनता पार्टी, पार्टी के नाम पर मोदी का ही सहारा ले रही है। ऐसे में जब 2019 में मोदी के नाम पर ही चुनाव होने वाला है। मोदी की छवि से माहौल बनेगा और उनकी छवि से माहौल बिगड़ेगा।
गुजरात प्रधानमंत्री का गृह राज्य है वहां से उत्तर भारतियों को भगाया जाना एक तरीके से उत्तर प्रदेश के 80 और बिहार के 40 कुल 120 लोकसभा सीटों पर भाजपा के लिए चुनौती बनती जा रही है। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि जब प्रधानमंत्री के गृह राज्य से उत्तर प्रदेश और वाराणसी के रोज़ी रोटी कमाने वाले गरीब को भगाया जा रहा है तो मोदी को वोट क्यों देंगे ?
गुजरात में घट रही घटना मोदी और अमित शाह दोनों के लिए आने वाले दिनों में जवाब देना मुश्किल हो जायेगा जब उत्तर प्रदेश की जनता ये सवाल करेगी कि केंद्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार इसलिए ही बनवाई थी कि रोज़ी रोटी कमाने गए गरीबों को गुजरात से मार-मार कर भगाये।
जिस तरह से अमित शाह और मोदी उत्तर प्रदेश में 2014 से भी ज्यादा सीट लाने का दावा कर रहे है क्या उत्तर प्रदेश की जनता गुज़रतीयों से अपमानित होकर 2014 जैसा सम्मान मोदी और अमित शाह को 73 सीटें देकर 2019 में देगी। ऐसे तमाम सवाल उठ रहे है जो 2019 के लिए मोदी की डगर कठिन करते जा रहे है।
9th October, 2018