लखनऊ, (यूरिड मीडिया)। देश अभी राजनीति के श्लाका पुरूष और जननायक के निधन का शोक मना रहा है कि एक उदीयमान सितारे के जन्म तिथि को याद कर भी आंसू बहा रहा है। भारतीय राजनीति के उदीयमान सितारे राजीव गांधी का सोमवार 20 अगस्त को जन्मदिन है। राजीव गांधी अपनी मां भारत के आयरन लेडी इन्दिरा गांधी को सहारा देने के लिए राजनीति मे आये। राजीव की बचपन से ही राजनीति में रूचि नही थे और प्रधानमंत्री का बेटा होते हुए भी उन्होने अपनी स्वेच्छा से पायलट का काम किया। इसके बाद भी जब वह राजनीति का ककहरा सीख ही रहे थे कि अचानक इन्दिरा गांधी की उन्ही के सुरक्षाकर्मियों द्वारा हत्या किये जाने के बाद राजीव को प्रधानमंत्री बनकर राजनीति का कड़वा घूंट पीना पड़ा।
राजीव गांधी के जन्मदिन पर उनके अल्पकालिक राजनीतिक जीवन की याद करने से नयी पीढ़ी को एक सबक मिलेगा। राजीव के बेटे राहुल गांधी तीन बार सांसद होने के बाद भी वह सब कुछ नही सीख पाये जो कम समय में राजीव ने हासिल किया। राजीव के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी सादगी, सिधाई और अल्पज्ञता का उनके चालाक दोस्तों तथा रिश्तेदारों ने भरपूर फायदा उठाया। राजीव जब तक ऐसे लोगों को पहचानते और सबक लेते कि उन्ही के दगाबाज सिपहसालार विश्वनाथ प्रताप सिंह के बोफोर्स सौदे की दलाली के घेराबंदी ने उन्हें झांसे में डाल दिया। अनुभवी राजनेता होता तो वी.पी.सिंह के इस दांव को चुटकी में खत्म कर सकता था परन्तु राजीव को राजनीति का यह दांव-पेंच नही आता था। वर्ष 1989 के चुनाव के बाद विपक्षी नेता के रूप में राजीव को राजनीति की तमाम समझदारी और दांव-पेंच की जानकारी हो गयी थी परन्तु नियति को कुछ और ही मंजूर था और लिट्टे की साजिश का शिकार हो गये। राजनीति के जानकार मानते है कि वर्ष 1991 के चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद राजीव गांधी की दुर्घटना नही होती तो देश की स्थिति कुछ और ही होती। भारत के संचार क्रान्ति और कम्प्यूटराइजेशन की शुरूआत राजीव गांधी की ही थी। इसके साथ ही नगर निकायों तथा ग्राम पंचायतों को लोकतांत्रिक अधिकार देने आदि जैसे महत्वपूर्ण निर्णय था। बोफोर्स मामले से राजीव ने जो सबक लिया था, वह कांग्रेस को भ्रष्टाचार मुक्त राजनीतिक दल बनाने में सक्रिय थे परन्तु लंबे अन्तराज के बाद मनमोहन सिंह सरकार के 10 वर्षो में राजीव की कांग्रेस भ्रष्टाचार के ही गर्त में चली गयी। आज भी कांग्रेस के समक्ष वर्ष 1989 के राजीव कांग्रेस की स्थितियां विद्यमान है। राहुल के पास निष्ठावान और समर्थ सलाहकारों का अभाव है। राहुल को राजनीति में अपने पिता का साथ नही मिला था परन्तु कांग्रेस के जयचंदों ने उन्हें घेर लिया है। राजाओं को मान सिंह और जयचन्द जैसे सलाहकारों से हमेशा ही सावधान रहना चाहिए। राजीव गांधी के जन्म दिन में कांग्रेस के सच्चे समर्थकों को उनकी सादगी और सच्चाई को आत्मसात करना चाहिए और पार्टी से गद्दारों को बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।
20th August, 2018