राजेन्द्र द्विवेदी- युरिड मीडिया न्यूज़- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी को पितातुल्य बताया है। मोदी ने अटल की शव यात्रा में 5 किलोमीटर पैदल चल कर पुत्रवत धर्म का निर्वहन भी किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सहित सम्पूर्ण भाजपा अटल विहारी के निधन के बाद से ही दुखी और इसे अपूरणीय क्षति बता रही है। मीडिया में अटल बिहारी बाजपेयी पर लगातार सस्मरण और व्यक्तित्व पर खबरें आ रही हैं।
अटल से जुड़े स्थानों लखनऊ, आगरा, कानपुर एवं बलरामपुर में विभिन्न विकास की योजनाएं को लागु करने की घोषणाएं हो रही हैं। यह कार्यकर्म और घोषणाएं समय के साथ धीरे धीरे जनमानस के मस्तिष्क से हट जाएंगी। अगर अटल बिहारी बाजपेयी को श्रंद्धाजली देनी है और उनके विचारों को जिन्दा रखना है तो राजनीतिक कर्मभूमि रहे देवीपाटन मण्डल के बलरामपुर में बनारस हिन्दू विश्यविद्यालय जैसा अंतर्राष्ट्रीय स्तर का अटल बिहारी वाजपेयी विश्यविद्यालय बनाया जाना चाहिए जिसमे उच्च स्तरीय शिक्षा, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, आईआईएम, आईआईटी और वर्त्तमान परिस्थितियों में रोज़गार परक कोर्स होने चाहिए जिससे प्रतिभाशाली देश और विदेशों में अपनी प्रतिभा निखार सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अटल बिहारी को पितातुल्य कहा है यही समय है कि देवीपाटन मण्डल ने अटल बिहारी को सम्मान देकर 1957 में पहली बार सांसद चुना। सांसद चुने जाने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी देश और दुनिया में अपनी प्रतिभा से एक मुकाम बनाया। पिता के क़र्ज़ को मोदी को उतारना चाहिए। 1957 में अटल जैसे हीरे को बलरामपुर के गरीब जनता ने पहचान लिया लेकिन लखनऊ को अटल जैसे हीरे पहचाने में 50 वर्ष लग गए। 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी बलरामपुर लखनऊ दोनों स्थानों पर लोकसभा का चुनाव लड़े थे लेकिन सम्मान बलरामपुर की जनता ने दिया। लखनऊ की जनता को सम्मान देने में 34 वर्ष और लग गए। 1991 में लखनऊ से सांसद चुने गए और 2004 तक चुनाव जीतते रहे । 2009 में अपने प्रिये शिष्य लालजी टंडन को उत्तराधिकारी बनाया और 2014 में राजनाथ सिंह अटल के ससदीये क्षेत्र लखनऊ से उत्तराधिकारी बने। अटल के निधन के बाद तमाम घोषणाएं हो रही हैं। लेकिन देवीपाटन मण्डल जो अटल जी के राजनीतिक शुरुवाती कर्मक्षेत्र रहा है उस पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 2019 में लोकसभा चुनाव है। चुनाव को देखते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की महानता का लाभ लेने का प्रयास भाजपा कर रही है। राजनीतिक दल है ऐसा प्रयास राजनीत में अन्य दल भी लाभ लेने के करते रहे हैं। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वास्तविक रूप से दिल से अटल विहारी वाजपेयी को पितातुल्य माना है तो उनकी प्रारंभिक कर्मभूमि देवीपाटन मण्डल, बलरामपुर को एक ऐसा विकास का मॉडल बना देना चाहिए जो पूरी दुनिया में अटल के नाम पर एक मिशाल बने। चार साल से भाजपा केंद्र में और 18 महीने से उत्तर प्रदेश में सरकार है लेकिन अटल के प्रारंभिक राजनीतिक कर्मभूमि पर ध्यान नहीं दिया गया । आजादी के 70 वर्षों बाद भी देवीपाटन मंडल के चारों जनपद गोंडा बहराइच श्रावस्ती एवं बलरामपुर अतिपिछड़े जनपदों में शामिल है। अटल बिहारी वाजपेयी 1957 में जब सांसद बने थे तो उस समय उनके संसदीय क्षेत्र की सीमा आज के चारों जनपदों में फ़ैली हुई थी। केवल वर्तमानं बलरामपुर जनपद में ही संसदीय क्षेत्र सीमित नहीं रहा। परसीमन के बाद बलरामपुर वर्त्तमान में श्रावस्ती संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। मोदी के लिए यह बहुत ही सुनहरा अवसर है कि वह अपने पितातुल्य अटल बिहारी वाजपेयी को सम्मान देकर उचाईयों तक अवसर प्रदान करने वाले देवीपाटन मण्डल को भ्रस्ट्राचार मुक्त और विकास युक्त बनाकर पिता के क़र्ज़ को उतारें। यह सत्य और कड़वा सच है कि अगर 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी को देवीपाटन मंडल बलरामपुर ने अवसर प्रदान नहीं किया होता तो शायद उन्हें देश और दुनिया में अपनी प्रतिभा को दिखाने में और समय लग जाता। देवीपाटन मंडल के चारो जनपदों की आबादी सवा करोड़ से अधिक है। शिक्षा स्वास्थ्य रोज़गार एवं मूलभूत आवश्यकताओं में बहुत पीछे है। पूरे मण्डल में सड़क मुक्त गड्डे है। गड्ढे मुक्त सड़क नहीं। 70 वर्षों में मंडल ने भ्रष्टाचार लूट और बदहाली ही देखी है आज भी भ्रष्टाचार हावी है चारो तरफ लूट मची है ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अवसर भी है और चुनौती भी कि अपने पिता तुल्य अटल बिहारी बाजपेयी को सम्मान देने वाले देवीपाटन मण्डल के सवा करोड़ जनता के लिए क्या करते है? भारतीय संस्कृति की यह परम्परा भी है कि सक्षम पुत्र पिता के कर्ज़े को उतारता है। समय बताएगा की मोदी जैसा सक्षम बलवान और ताकतवर पुत्र पितातुल्य अटल बिहारी वाजपेयी को सम्मान देने वाले सवा करोड़ जनता के साथ कैसा व्यवहार करते हैं ?
20th August, 2018