अहमदाबाद। गुजरात चुनाव में बीजेपी के धार्मिक मुद्दों पर जातीय मुद्दे भारी पड़ते दिखाई दे रहे है। 1990 के बाद यह पहला अवसर है जब धार्मिक ध्रुवीकरण कमजोर हुआ और जातीय ध्रुवीकरण भारी हो गया। पाटीदार, दलित, कोली, पटेल, अहीर, ठाकोर आदि को ओबीसी जातियों और आदिवासियों की अधिकारों की मांग ने दो दशक से ज्यादा पुराने हिन्दू ध्रुवीकरण को पीछे छोड़ दिया है। 18 दिसम्बर को परिणाम आने के बाद जो भी सरकार बनेगी उसके लिए प्रभावशाली जातियों की उम्मीदों को पूरा करना और सामाजिक संतुलन को बनाए रखने की बड़ी चुनौती होगी।
13th December, 2017