अहमदाबाद। अहमदाबाद जनपद मे कुल 21 विधानसभा सीटें है जो सरकार बनाने के लिए निर्णायक हो सकती है। इसी दृष्टिकोण से कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने अहमदाबाद में रोड शो के माध्यम से अपने अपने मतों का ध्रुवीकरण करने के लिए रोड शो की कार्ययोजना बनाई थी। अगर रोड शो की अनुमति मिलती तो निश्चिर रूप से अहमदाबाद में ध्रुवीकरण परवान चढ़ता। निर्वाचन आयोग ने माहौल को ठीक रखने के लिए किसी को रोड शो की अनुमति नहीं दी। पिछले 2012 विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 21 सीटों में से 17 सीटें और कांग्रेस को 4 सीटें मिली थी। प्रदेश में सर्वाधिक 21 सीटें अहमदाबाद जनपद में ही है। दुसरे नंबर पर सूरत जिला है जहां पर 16 सीटें है इन 16 सीटों में 15 भाजपा के कब्जे में थी।
गुजरात में विधानसभा चुनाव में मोदी और राहुल दोनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह केवल एक राज्य का चुनाव नहीं है बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव की दिशा तय करेगा। यह माना जा रहा है गुजरात बीजेपी की जीत से यह तय हो जाएगा कि मोदी का जादू बरकरार है और राहुल गांधी अभी भी मोदी के विकल्प नहीं बन पाये है। दूसरी तरफ अगर बीजेपी की हार गुजरात में होती है तो इसे मोदी के जादू कम होना और राहुल का बढ़ता प्रभाव माना जाएगा। इसी लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों पिछले तीन महीनों से अपनी पूरी ताकत लगा दी है और इसे मात्र विधानसभा चुनाव न लेकर राष्ट्रीय स्तर के चुनाव के रूप में लिया जा रहा है। जिस तरह से मतों के ध्रुवीकरण को लेकर पाकिस्तान और अन्य धार्मिक मुद्दों पर बहस चल रही है उसे देखते हुए यह निश्चित था कि रोड शो के जरिये दोनों दल शांत पड़े अहमदाबाद में संपरदायिक माहौल पैदा करते। आयोग को यह निश्चित रिपोर्ट ठीक की रोड शो संवेदनशील स्थलों से निकालने के लिए अनुमति देने से 14 दिसम्बर को होने वाले मतदान में प्रभाव पड़ता। जिला प्रशासन के अधिकारी कहते है कि अहमदाबाद में रोड शो के लिए जो रूट भाजपा और कांग्रेस एवं हार्दिक पटेल ने मांगे थे अनुमति मिलने से निश्चित रूप से माहौल खराब होता। इसीलिए जिला प्रशासन एवं आयोग ने अनुमति देने से इंकार कर दिया।
11th December, 2017