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चुनावी स्टन्ट - राम मंदिर समझौते का नाट्य

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चुनावी स्टन्ट - राम मंदिर समझौते का नाट्य

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विजय शंकर पंकज, लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के हाथ से विकास की कड़ी छूटने के बाद अब राम का ही सहारा रह गया है। पिछले कुछ महीनों से राममंदिर बनाने के लिए कई समझौतौ के ठेकेदार अचानक सामने आ रहे है। इसमें शियाओं के एक कथित रहनुमा जो अभी पिछली सरकार में कट्टर आजम खां के समर्थक रहे अचानन राममय हो गये। शिया वसीम रिजवी की राम मंदिर के प्रति रूझान को देखते हुए कट्टर राम समर्थक हिन्दू भी पीछे रह गये है। इस कड़ी में सुब्रण्यहम स्वामी से लेकर कई नाम आये और हाल ही में धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर भी नये सिरे से दाखिल हो गये है। सुन्नी वक्फ बोर्ड इसे अपनी संपत्ति बताकर किसी भी समझौते को तैयार नही है। इन घटनाक्रमों से जनता में यह राय बन रही है कि राम मंदिर निर्माण के संबंध में इन सारे समझौतों के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राय है।